लेखनी प्रतियोगिता -06-Jan-2024 एक पसंदीदा फ़िल्म
शीर्षक = पसंदीदा फ़िल्म
फ़िल्म यानी मनोरंजन का एक साधन जो पहले सिनेमा हाल में लगती है उसके बाद टेलीविज़न पर आती है या फिर C D वगैरह में उपलब्ध होती थी लेकिन अब मोबाइल में भी बआसानी देखी जा सकती है
हमें फ़िल्म देखने का बहुत शौक है अगर कभी इस तरह की कोई सूची बने जिसमे फ़िल्म देखने वालो का नाम हो तो शायद हमारा नाम उसमे अवश्य शामिल होगा
और अगर बात हो डरावनी, रहसमय मूवीज की तो फिर हमारा नाम सबसे पहले लिखा जाना चाहिए उस लिस्ट में, हॉरर मूवीज, सस्पेंस मूवीज और थ्रील्लेर मूवी के तो हम सबसे बड़े फेन में से एक है
वैसे तो हमारी फिल्मों की लिस्ट बहुत लम्बी है जिसमे सबसे पहले थ्री इडियट जिसे जिंतनी बार भी देखो नई ही लगती है उसके बाद हमारी पसंदीदा मूवी है मदर इण्डिया
इन सब फिल्मों को पीछे छोड़ते हुए जो एक मूवी है उसका नाम है तुमबाड़ मनुष्य के लालच पर बनी अब तक की सबसे अच्छी फिल्मों में से एक फ़िल्म है
कलाकारों ने जो अभिनय किया है उसकी भी दाद देनी पड़ेगी, एक गांव जहाँ हमेशा बारिश ही होती रहती है वहाँ के लोगो का कहना है कि देवताओं के दिए श्राप का नतीजा है
क्यूंकि उस गांव के लोगो ने अपने लालच के चलते पूर्ती की देवी की पहली संतान हसतर की पूजा करना शुरू कर दी थी क्यूंकि हस्तर ने पूर्ती की देवी से सारा सोना ले लिया था लेकिन ज़ब उसने अपनी भूख मिटाने के लिए अनाज को भी अपने कब्जे में करना चाहा तब देवताओ ने उस पर प्रहार कर उसे अंतरिक्ष की धूल में धूमिल करना चाहा
लेकिन देवी की पहली संतान होने की वजह से उसे देवी ने बचा लिया लेकिन एक शर्त रखी गयी थी कि कोई भी उसे नही पूजेगा लेकिन उसके पास सोने का भंडार होने की वजह से कुछ लोगो ने मिलकर उसके नाम का मंदिर बना दिया और उससे किसी भी तरह सोना हासिल करना चाहा
और इसी के चलते देवताओं ने श्राप दे दिया और वो श्राप तुमबाड़ पर बारिश बन कर बरसा
एक बूढी औरत जिसे उसके घर वाले एक कमरे में बंद करके रखते है क्यूंकि उसे हस्तर ने काट लिया था ज़ब वो सोने की मुद्रा हासिल करने गयी थी हस्तर जिसे भी काट लेता उसे भूख लगने लगती है और उसे ये कह कर शांत किया जाता है " सोजा वरना हस्तर आ जाएगा "
उस औरत की बहु उसका बूढा पति और उसके दो बच्चों के अलावा अब वहाँ कोई नही रहता है, उस औरत का एक बेटा लालची होता है जबकी दूसरा नही उसे हमेशा सोने की मुद्रा हासिल करने की चाह रहती है
जब उसका बाप मर जाता है तब उसकी माँ अपने दोनों बच्चों के साथ तुमबाड़ को छोड़ कर पुणे जाने का फैसला करती है लेकिन उसका बेटा अपनी दादी यानी की उस बूढी औरत से हर दम सोने तक पहुंचने का राज जानने का कहता है लेकिन उसकी माँ मना कर देती है
इसी दौरान बाहर खेलते समय उसका छोटा बेटा गिर कर जख़्मी हो जाता है जिसे वो अस्पताल लेकर जाती है, शाम को बुढ़िया को खाना देना होता है जिसकी जिम्मेदारी वो अपने बड़े बेटे को देकर जाती है वो डरता है लेकिन हस्तर तक पहुंच कर सोना लाने का राज पूछने का अच्छा मौका होता है
वो डरते डरते खाना बना कर उसके पास लेकर जाता है, उसे देख वो डर जाता है क्यूंकि बहुत भयानक होती है लेकिन फिर भी वो उससे मुद्रा के बारे में पूछता है वो घबरा जाती है और वो भी घबरा जाता है गलती से कमरे का दरवाज़ा खुला छोड़ कर वो बाहर की और भागता है लेकिन ज़ब तक वो बूढी औरत उसे काटने के लिए आगे बढ़ जाती है वो उसे सुलाने का मन्त्र भूल जाता है
ज़ब वो उसे काटने वाली होती है तब ही उसे वो मंत्र याद आ जाता है " दादी सो जा वरना हस्तर आ जाएगा " ये कहते ही वो वही गिर कर सो जाती है
उसका भाई रास्ते में ही दम तोड़ देता है उसकी माँ वही पर ही किर्या कर्म कर वहाँ से उलटे पाँव आ जाती है उसने अब पूरा मन बना लिया था कि वो अब इस मनहूस जगह पर नही रहेगी पहले उसका पति जिन्दा था तो बात अलग थी अब वो भी मर गया और उसका एक बेटा भी
वो आकर उस बुढ़िया को वही छोड़ कर अपने बेटे को ले जाने लगती है लेकिन तब ही उसका बेटा जिद्द करता है कि हम यही रहेंगे यहां सोना है ढेर सारा सोना बुढ़िया को खाना नही देंगे तब वो बता देगी मुद्रा किस तरह हासिल कि जाएगी
लेकिन उसकी माँ उसे मारती है और जो एक मुद्रा उसके पास होती है उसे देकर बोलती है " तुझे मुद्रा चाहिए लालची कही के, मेरा छोटा बेटा मर गया तू मर जाता तो अच्छा रहता लालची कही का तेरा बाप भी लालची था तू भी उसी के जैसा निकला "
माँ की बातें सुन वो वहाँ से चला जाता है लेकिन ज़ब वो बड़ा हो जाता है तो वो पूरा इरादा करके दोबारा तुमबाड़ की और रुख करता है वो जानता है कि वहाँ उसे ढेर सारा सोना मिलेगा
और ऐसा होता भी है, ज़ब वो कई साल बाद अपने घर लौटता है तब भी उसकी दादी जिन्दा होती है वहाँ एक पेड़ सा उग आता है उसका दिल धड़क रहा होता ये सीन उस फ़िल्म का सबसे खतरनाक सीन में से एक है
वो बेड़ियों के सहारे अपनी दादी तक पहुँचता है, जो भूखी होती है और मोक्ष चाहती है वो उसे खाना खिलायेगा और मोक्ष भी दिलाएगा ये लालच देकर उससे हस्तर तक पहुंच कर मुद्रा हासिल करने का राज पूछ लेता है
वो नही चाहती कि जो अंजाम उसका हुआ है उसके पोते का भी हो पर ज़ब लालच का कीड़ा दिमाग़ में घुस जाता है तो कुछ समझ नही आता थक हार कर वो उसे बता देती है कि बाड़े में ही एक जगह है जहाँ पूर्ती की देवी की कोख है उसी में हस्तर रहता है ज़ब देवताओ ने उस पर प्रहार किया था तब देवी ने उसे अपने अंदर समा लिया था
उससे मुद्रा हासिल करने के लिए उसे आटे की गुड़िया देनी होगी वो सालो का भूखा है क्यूंकि उसने सोना तो हासिल कर लिया था पर अनाज नही कर पाया था जितनी देर में वो आटा खायेगा उतनी देर में तुम उससे मुद्रा ले लेना जो उसकी पेट पर बंधी थैली में होगी
फिर क्या था उसकी ख़ुशी का ठिखाना नही रहा उसने दादी को खाना खिलाया और आखिरी बार पूछा कि वो वाक़यी मोक्ष चाहती है तब उसने कहा मुझे जला दे मैं मुक्ति चाहती हूँ, मेरी भूख शांत तब ही होगी ये
उसने आख़री बार कहा दादी सो जा वरना हस्तर आ जाएगा वो उसे जिन्दा नही जलाना चाहता है और फिर आगा लगा देता है
और फिर उसके बाद वो पूरे बाड़े में खुदाई कर पहुंच जाता है पूर्ती की कोख तक और जैसा दादी ने बताया उसी तरह उसने किया और सोने की मुद्रा ले आया
ये तो उसके लालच की शुरुआत थी उसने न जाने कितनी बार आकर वहाँ से मुद्रा ली और बाजार में बेचीं अब तो उस आदमी को भी शक हो गया था जो उससे मुद्रा खरीदता था
कई बार वो पूछना चाहता है पर वो नही बताता और एक दिन वो उसका पीछा करके वहाँ पंहुच जाता है, उसे पहले ही पता चल जाता है इसलिए वो ऐसा जाल बिछा कर आता है जिसमे फ़स कर वो हमेशा के लिए हस्तर का शिकार बन जाता है
अब वो एक खूनी भी बन जाता है, लेकिन सोने की मुद्रा की चमक के आगे उसे कुछ नही दिखता कहते है हराम का माल हराम कामों में ही जाता है
उसकी रातें कोठे पर गुजरती उसका एक बेटा भी होता है और दो बेटियां भी वक़्त एक सा कहा रहता है शराब की वजह से वो उम्र से पहले ही बूढा और कमजोर होने लगता है अब उसमे हिम्मत नही थी कि वो रस्सी से लटक कर हस्तर से मुद्रा ले आये इसलिए वो अपने बेटे को बहुत जल्द ही ट्रेनिंग देने लगता है
उधर आजादी कि लहर उठने लगती है, देश आजाद होने वाला होता है, आखिर कार वो अपने बेटे को भी उसी राह पर ले जाता है जहाँ सिर्फ तबाही ही तबाही है लेकिन उसे नजर नही आती है
आखिर कार वो अपने बेटे को भी हस्तर से मुद्रा हासिल करना सिखा देता है
कहने को उसके पास इतनी सारी सोने कि मुद्रा इकठ्ठा हुई होतु है जिसे सात पुश्ते आसानी से खा सकती थी लेकिन उसका लालच अभी भी ख़त्म नही हुआ
और फिर देश आजाद हो जाता है जिसका असर ये होता है राजा महाराजा कि संपत्ति अब भारत सरकार के हवाले होने लगती है
जिसमे वो बाड़ा भी सरकार का हो गया होता है बाड़ा जाने का मतलब हस्तर तक पहुंच कर मुद्रा लाने का सिलसिला भी ख़त्म
जिस तरह सोने का अंडा देने वाली मुर्गी से आदमी एक साथ सारे अंडे एक साथ प्राप्त करने के लिए उसका पेट फाड़ देता है उसी तरह हस्तर से सारा सोना एक साथ हासिल करने के लिए उसका बेटा उसे उपाय बताता है कि क्यू न हम एक आटे कि गुड़िया ले जाने के बजाये ढेर सारी गुड़िया ले जाये क्यूंकि वो सालो से भूखा है उसे खाने में समय लगेगा और इसी दौरान हम उससे सारी मुद्रा लेकर वापस आ जाएंगे
फिर चाहे बाड़ा सरकार का हो य किसी और का उन्हें कोई फर्क नही पड़ेगा और फिर बाप बेटे असंख्य आटे कि गुड़िया बना कर पूर्ती की देवी की कोख में उतरते है आटे से घेरा बनाते है ताकि हस्तर अंदर न आ पाए
वो एक एक कर जैसे सारी आटे की गुड़िया बाहर निकालते है उसी के साथ हस्तर की संख्या भी बढ़ती जाती है और देखते ही देखते वहाँ असंख्य हस्तर पैदा हो जाते है
जिन्हे देख दोनों बाप बेटे घबरा जाते है, बेटे को बचाना उसकी जिम्मेदारी बन जाता है और वो खुद को हस्तर के हवाले करके उसी अंजाम तक पहुंच जाता है जहाँ उसने उस आदमी को पहुंचाया था और अपनी दादी को भी देखा था
उसका बेटा किसी तरह वहाँ से बाहर आ जाता है, वो रो रहा होता है उसे दूर अपना पिता दिखता है जो की बहुत भयानक हो गया होता है वो उससे मिलना चाहता है लेकिन वो उसे खुद को ख़त्म करने का कहता है क्यूंकि उस श्राप से बचने का एक ही तरीका था खुद को जला देना
आखिर कार उसका बेटा पास पड़ी लालटेन अपने पिता पर फेंक कर उसे जलता हुआ छोड़ कर वहाँ से भाग जाता है
कितना अच्छा होता कि वो लालच न करता, वो कभी तुमबाड़ लोट कर नही जाता उसने अपनी माँ की बात मान ली होती अपनी दादी की बात मान ली होती तो सब कुछ ऐसा नही होता जैसा हुआ पर पछताए क्या होत ज़ब चिड़िया चुग गयी खेत
समाप्त....
प्रतियोगिता हेतु....
Pranav kayande
09-Jan-2024 04:23 AM
v nice
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Gunjan Kamal
08-Jan-2024 09:14 PM
👏👌
Reply
Madhumita
07-Jan-2024 06:49 PM
Nice one
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